क्षमापन स्तोत्र

क्षमापन स्त्रोत का उद्देश्य किसी भी पूजा के बाद भगवान से क्षमा माँगना है. हम मनुष्यों से प्रभु की आराधना मे त्रुटिवश जो भी अपराध हो जाते हैं उसकी क्षमा याचना आवश्यक है.

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् ।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर ॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर ।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे ॥
जपच्छिद्रं जपश्चिद्रं यच्छिद्रं शांतिकर्मणि ।
सर्वंभवतु मेऽछिद्रं ब्राह्मणानां प्रसादत: ॥
अपराध सहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया ।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर ॥
ज्ञानतोऽज्ञानतो वापि यन्न्यूनमधिकं कृतम ।
तत्सर्वं क्षम्यतां देव प्रसीद परमेश्वर ॥
कर्मणा मनसा वाचा तव पूजा मया कृता ।
तेन तुष्टिं समासाद्य प्रसीद परमेश्वर ॥

प्रत्येक आरती के बाद इस स्तोत्र का पाठ करें । देवियों की आरती के बाद इसका गान करते समय परमेश्वर शब्द के स्थान पर 'परमेश्वरी' शब्द का उपयोग करें 

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